Delhi Assembly Elections 2025: नई दिल्ली सीट पर विवाद के बीच बीजेपी, आप और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला
Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का राजनीतिक माहौल पूरी तरह गरमाया हुआ है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है। नई दिल्ली सीट, जो दिल्ली की राजनीति का केंद्र मानी जाती है, इस बार विवादों के केंद्र में है। चुनावी वादों, मुफ्त सुविधाओं और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों ने इस सीट पर संघर्ष को और तीव्र कर दिया है। आइए जानते हैं इस चुनावी संघर्ष और विवाद के पीछे की प्रमुख वजहें।
नई दिल्ली सीट: राजनीतिक प्रतिष्ठा का केंद्र
नई दिल्ली सीट हमेशा से ही दिल्ली विधानसभा चुनावों में खास महत्व रखती आई है। यह सीट न केवल राजधानी की प्रशासनिक और राजनीतिक धुरी है, बल्कि यहां के विधायक अक्सर मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल रहते हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जो इस समय इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, लगातार तीसरी बार इस सीट पर अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं। वहीं, बीजेपी और कांग्रेस इस प्रतिष्ठित सीट को जीतकर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने का प्रयास कर रही हैं।
मुफ्त सुविधाओं पर गरमा-गरम बहस
दिल्ली चुनावों में मुफ्त सुविधाओं का मुद्दा हर बार की तरह इस बार भी चर्चा में है। आम आदमी पार्टी ने जहां बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मुफ्त सेवाओं का वादा किया है, वहीं बीजेपी ने इसे ‘मुफ्त की रेवड़ी’ कहकर आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि जनता को बुनियादी सुविधाएं देना सरकार का कर्तव्य है।
- आप का वादा: शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा जैसी योजनाओं को और मजबूत करना।
- बीजेपी का रुख: जनता को मुफ्त सुविधाओं की आदत डालने के बजाय उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।
- कांग्रेस का दृष्टिकोण: मुफ्त सुविधाओं के साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने पर जोर।
नई दिल्ली सीट पर मुख्य उम्मीदवार
इस बार नई दिल्ली सीट पर तीन प्रमुख पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
- आम आदमी पार्टी: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद इस सीट से मैदान में हैं।
- भारतीय जनता पार्टी: बीजेपी ने इस बार वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राजीव सिंह को टिकट दिया है।
- कांग्रेस: कांग्रेस ने युवा चेहरे प्रियंका शर्मा को उम्मीदवार बनाया है।
तीनों उम्मीदवारों ने अपने-अपने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान तेज कर दिए हैं। केजरीवाल जहां अपने पिछले कार्यकाल के कामों को गिनाते हुए जनता से वोट मांग रहे हैं, वहीं बीजेपी और कांग्रेस उनकी नीतियों पर सवाल उठा रही हैं।
नई दिल्ली सीट पर विवाद की वजह
- मुख्यमंत्री का किला बचाने की चुनौती:
अरविंद केजरीवाल के लिए यह सीट उनकी राजनीतिक साख का सवाल है। यदि वह यह सीट हारते हैं, तो इससे उनकी पार्टी पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। - बीजेपी और कांग्रेस की आक्रामक रणनीति:
बीजेपी और कांग्रेस इस सीट को जीतकर ‘आप’ को झटका देने की कोशिश कर रही हैं। बीजेपी ने इस सीट पर बड़े पैमाने पर प्रचार किया है और कांग्रेस ने भी मजबूत उम्मीदवार खड़ा किया है। - रेवड़ी कल्चर पर बहस:
मुफ्त सुविधाओं के मुद्दे ने इस सीट को चुनावी बहस का केंद्र बना दिया है। बीजेपी इसे आर्थिक बोझ कह रही है, जबकि ‘आप’ इसे जनता की भलाई के लिए जरूरी बता रही है।
जनता का मूड: किसके पक्ष में है माहौल?
नई दिल्ली सीट की जनता का रुख काफी दिलचस्प है।
- आप के पक्ष में:
कई लोग ‘आप’ सरकार की योजनाओं से खुश हैं और केजरीवाल को एक बार फिर मौका देना चाहते हैं। - बीजेपी के पक्ष में:
कुछ लोग बीजेपी की योजनाओं और पीएम मोदी की लोकप्रियता से प्रभावित हैं। - कांग्रेस के पक्ष में:
युवा मतदाता कांग्रेस के नए चेहरे प्रियंका शर्मा को पसंद कर रहे हैं।
नई दिल्ली सीट का चुनावी गणित
नई दिल्ली सीट पर कुल 1.2 लाख मतदाता हैं। इनमें से 60% शहरी मध्यम वर्ग, 30% निम्न आय वर्ग और 10% व्यवसायी वर्ग के मतदाता हैं। यह सीट मुख्य रूप से शहरी विकास, रोजगार और मुफ्त सेवाओं जैसे मुद्दों पर निर्भर करती है।
चुनाव प्रचार का हाल
तीनों पार्टियों ने अपने प्रचार अभियानों में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
- आप: मोहल्ला सभाओं, रैलियों और सोशल मीडिया का सहारा लेकर प्रचार कर रही है।
- बीजेपी: बड़े पैमाने पर रैलियों और रोड शो का आयोजन कर रही है।
- कांग्रेस: युवा उम्मीदवार के साथ जनसंपर्क अभियान चला रही है।
नई दिल्ली सीट पर लड़ाई त्रिकोणीय है।
- अरविंद केजरीवाल के सामने अपनी सीट बचाने की चुनौती है।
- बीजेपी और कांग्रेस उनकी जगह लेने के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं।
- जनता का रुख अभी साफ नहीं है, लेकिन मुकाबला दिलचस्प और नजदीकी होने की उम्मीद है।
आने वाले कुछ दिनों में चुनाव परिणाम यह तय करेंगे कि नई दिल्ली सीट किसके नाम होती है और दिल्ली की राजनीति में कौन सी पार्टी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहती है।